अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.शास्त्रों के मुताबिक शरद पुर्णिमा को काफी महत्व दिया जाता है.
- इस पूर्णिमा के बाद से ही हेमंत ऋतु की शुरुआत होती है और धीरे-धीरे सर्दी का मौसम शुरू हो जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मानी जाती है.
- मान्यता ये भी है कि जो भी व्यक्ति शरद पूर्णिमा पर खीर का प्रसाद ग्रहण करता है उसके शरीर से कई रोग खत्म हो जाते हैं.
- वहीं ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा शुभ फल नहीं देते हैं उन्हें खीर का सेवन जरूर करना चाहिए.
- इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा देवी लक्ष्मी का आगमन होता है इस कारण से देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है.
Table of Contents
कब है शरद पूर्णिमा
- ऐसे में इस साल 2020 में शुक्रवार को 30 अक्टूबर की रात शरद पूर्णिमा की रात है. शास्त्रों के मुताबिक इस दिन चंद्रमा की किरणों में रोगों को दूर करने की क्षमता होती है.
- मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात आकाश से अमृत वर्षा होती है. ऐसे में लोग इसका लाभ लेने के लिए छत पर या खुले में खीर रखकर अगले दिन सुबह इसका सेवन करते हैं. वहीं कुछ लोग चूड़ा और दूध भी भिगोकर रखते हैं.
- शरद पूर्णिमा की रात को छत पर खीर रखने के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी है. खीर दूध और चावल से मिलकर तैयार होती है.
- दूध में लैक्टिक नाम का एक अम्ल भी पाया जाता है. ये तत्व चंद्रमा की किरणों से ज्यादा मात्रा में शक्ति का शोषण करता है.
- वहीं चावल में स्टार्च होने के कारण ये प्रक्रिया आसान हो जाती है. इसी के चलते सदियों में ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है और इस खीर का सेवन सेहत के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है.