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भारतीय सैनिकों की वीरता का गवाह करगिल
- भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल में हुए युद्ध के 22 साल होने वाले हैं. भारतीय सैनिकों की वीरता का गवाह रहा करगिल वक्त के साथ बदलने लगा है. अतीत में करगिल की धरती पर कभी तोपें गरजीं तो कभी सैनिकों की हुंकार सुनाई दी.
- भारत के मस्तिस्क पर बसे करगिल को दुश्मन अपने कब्जे में लेना चाहता था तो उसी दौरान भारतीय सेना के बूटों की धमक सुनाई दी लेकिन केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा बना .
- कुछ महीने पहले तक पर्यटक करगिल जाने से डरते थे जिसका मुख्य कारण था वहां की धरती पर हुए भारत पाकिस्तान युद्ध की.
- पर्यटकों को लेकर एक अधिकारी ने बताया कि कुछ लोग अभी भी करगिल को युद्ध से जोड़कर देखते हैं यही कारण है कि करगिल को नजरअंदाज कर दिया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है बदलाव आने लगा है.
पाकिस्तानियों को धकेल चुके हैं पीछे
- सीमावर्ती संगठन के साथ काम करने वाले एक युवक ने बताया कि हम करगिल के लिए अच्छी यादों को वापस क्यों नहीं ला सकते हैं.
- पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए युवक बताता है कि हमारे सैनिकों ने पाकिस्तानियों को चार पहाड़ पीछे धकेल दिया है.
करगिल को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने बताया कि केंद्र लद्दाख के कारगिल जिले में अंतरराष्ट्रीय स्तर के बुनियादी ढांचे को बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने उन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना बनाई है जहां पर्यटकों के आने की संभावनाएं ज्यादा हैं.
सेना के एक पूर्व ट्रक ड्राइव ने बताया कि और यह भी स्वीकार किया कि सड़कों में सुधार हुआ है, लेकिन पर्यटकों की मानसिकता नहीं बदली है. कई पर्यटक वहां जाने से अभी भी डरते हैं. कारगिल में बमुश्किल 4,000 पर्यटक आते हैं, जो लेह के आगंतुकों का पांचवा हिस्सा है.
करगिल जाने के लिए सड़क के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है इस कारण पर्यटक यहां पहुंचने लगे हैं. राष्ट्रीय आइस हॉकी खिलाड़ी अजहर अली ने बताया, ”अब यहां पहुंचना आसान है, दो लेन की सड़कें हैं. अधिक पर्यटन का अर्थ अक्सर अधिक विकास होता है. यहां पर्यटन के लिए बहुत गुंजाइश है.”